70 इंजीनियर, 4 सरकारी मान्यता प्राप्त आर एन डी सेंटर और अनुसंधान एवं विकास कार्यों में अपने कारोबार के 2% का निवेश कर सी एंड एस इलेक्ट्रिक बिजली के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में सबसे अधिक निवेश करने वाली कंपनी है।
सी एंड एस को हमेशा नए उत्पादों की खोज और उत्पादों की क्षमता को बढ़ाने का जुनून कंपनी के दो संस्थापकों जो आईआईटी के पूर्व छात्र रहे हैं, से विरासत में मिला है। सी एंड एस के 4 सरकारी मान्यता प्राप्त रिसर्च सेंटरों में 70 के अधिक इंजीनियर्स नए प्रोड्क्ट्स को बनाने, बेहतरीन इंजीनियरिंग और प्रोड्क्ट्स की पूरे जीवन चक्र से जुड़ी चीजों के प्रबंधन पर काम करते हैं।
- 4 सरकारी मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र
- 70 से अधिक इंजीनियर्स विश्व स्तरीय उत्पादों को बनाने में अपना सहयोग देते हैं
- वर्तमान राजस्व में 25% से अधिक का सहयोग पिछले 5 सालों में बनाए गए प्रोडक्ट्स से प्राप्त हुआ
- नए प्रोड्क्ट्स के विकास, प्रोड्क्ट्स के जीवन चक्र प्रबंधन और इंजीनियरिंग मूल्यों पर ध्यान देने के लिए केन्द्रित टीमें
- अत्याधुनिक डिजाइन, इंजीनियरिंग और प्रोटोटाइप उपकरण और संसाधनों का प्रयोग
- कंट्रोलगियर प्रोड्क्ट्स के परीक्षण के लिए यूएल द्वारा प्रमाणित लैब
कंपनी ने कोंटेक्टर्स, ओवरलोड रिले और सर्किट ब्रेकर्स के कई मॉड्ल्स बनाए हैं जो लोगों के विश्वास पर पूरी तरह से खरे साबित हुए हैं। लो वोल्टेज स्विचबोर्डस के लिए भारत के पहले बोल्टेड इंक्लोजर सिस्टम, भारत में बसबार ट्रंकिंग की पहली व्यापक रेंज और भारत के पहले 660 मेगावाट आइसोलेटेड फेज बसडक्ट का निर्माण सी एंड एस इलेक्ट्रिक ने ही किया है।
अनुसंधान एवं विकास की पूरी टीम सीएडी / सीएएम और सीएई सिस्टम (परिमित तत्व विश्लेषण और गतिशील मोशन सिमुलेशन सॉफ्टवेयर सहित) जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यहां मॉर्डन मेजरिंग की तकनीक, कम्प्यूटराइज्ड डाटा अधिग्रहण, और कई विद्युत परीक्षण लैबस है। कंपनी ने एम्बेडेड हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर डिजाइन के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है और साथ ही कई माइक्रोप्रोसेसर आधारित इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा और नियंत्रण उत्पादों को विकसित किया गया है।